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सिंचाई घोटाले में अजित पवार को महाराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो ने दी क्लीन चिट
महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार के निरोधी ब्यूरो एसीबी ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी एनसीपी नेता एवं…
कर्नाटक में उपचुनाव सुरु आज 15 सीटों पर होगा मतदान
कर्नाटक में एक बार फिर 15 विधानसभा सीटों पर आज 5 दिसंबर उपचुनाव हो…
रिलायंस, वोडाफोन आईडिया से लेकर एयरटेल सब हुए महंगे बीजेपी सरकार डींगें हाँकती रही
पिछले 6 सालों से बीजेपी सरकार मोबाइल इंटरनेट और कॉल सस्ता करने की डींगें…
तेलगांना में महिला डॉक्टर का रेप कर शव जलाया
तेलंगाना के रंगा रेड्डी जिले के बाहरी इलाके शादनगर से एक दिल दहलाने वाली घटना सामने…
महाराष्ट्र हा फुले-शाहू-आंबेडकरांचा पुरोगामी महाराष्ट्र म्हणून ओळखला जातो
By- मिलिंद धुमाळे ~ कारण महाराष्ट्राला या तीन थोर समाज सुधारकांचा वैचारिक वारसा लाभला…
BJP के ‘चाणक्य’ माने जानेवाले गृह मंत्री अमित शाह को शरद पवार ने दी जोरदार पटखनी
महाराष्ट्र की सियासत के माहिर खिलाड़ी एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार का नाम इस…
अयोध्या केस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना आखिरी फैसला सुनाया !
सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की पीठ ने आज 9 nov 2019 को अयोध्या केस पर फैसला सुनाया.…
वृंदावन फूड प्रोडक्ट्स कंपनी में अग्रवाल/वैश्य ही हो सकते है शामिल!
7 नवंबर के दिन रोज़ की तरह अखबारों में कुछ कंपनियों ने जरूरत के…
नोटबंदी के तीन साल हुए पूरे, लोगों ने कहा- पीएम मोदी आओ चौराहे पर!
आज 8 नवंबर है और नोटबंदी की यादें एक बार फिर ताजा हो गईं.8 नवंबर 2016 को रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अचानक 500 और 1000 के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी. नोटबंदी की तृतीय पुण्य तिथि पर अर्थव्यवस्था को विनम्र श्रद्धांजलि.इस ऐतिहासिक फैसले से देश को क्या क्या फायदा हुआ साहेब .आतंकवाद और नक्सलवाद की कमर टूटी क्या.विदेशों से कितना काला धन वापस आया.या देश को कितने लाख करोड़ का फायदा हुआ.अमरीका होता तो वहां की संसद में इस फैसले को लेकर महाभियोग चल रहा होता मगर भारत में आर्थिक मूर्खता के इस फ़ैसले ने नरेंद्र मोदी को एक के बाद एक प्रचंड राजनीतिक सफ़लता दी. नोटबंदी के समय कहा गया था कि इसके दूरगामी परिणाम होंगे. तीन साल हो गए. क्या वो दूरगामी अभी नहीं आया है ताकि सरकार हमें उसके परिणाम बता सके. क्या हम नोटबंदी के तीन साल बाद उसके दूरगामी परिणामों की चर्चा कर सकते हैं. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग के ताज़ा आंकड़े भयावह हैं. मई से लेकर अगस्त 2019 के बीच 59 लाख लोगों की नौकरियां चली गई हैं. फैक्ट्रियों और सेवा क्षेत्र में काम करने वाले नौकरियां गंवा कर गांवों की तरफ गए हैं. मैं अपने गांव गया था. वहां मिलने आए कई नौजवानों ने बताया कि नोएडा की आई टी कंपनियों में सैलरी समय से नहीं मिल रहा है. दो दो महीने की देरी हो रही है. दो साल से सैलरी नहीं बढ़ी है. वह नौजवान गांव इसलिए आ गया क्योंकि कोई और जगह है नहीं. कम से कम सस्ते में रह तो सकता है. 7 नवंबर को एक सज्जन का मैसेज आया था. मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनियों से भी लोगों को धड़ाधड़ निकाला जा रहा है. एक आंकड़ा यह भी कहता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में काम मिला है लेकिन वहां मज़दूरी घट गई है. कम पैसे पर ज़्यादा काम करने वाले हैं.नोटबंदी के बाद जीडीपी को झटका लगा जिससे देश अभी तक नहीं उबर पाया है. नोटबंदी की घोषणा के बाद की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर घटकर 6.1 फीसदी पर आ गई थी. जबकि इसी दौरान साल 2015 में यह 7.9 फीसदी पर थी. मौजूदा समय में जीडीपी विकास दर गिरकर 5 फीसदी पर आ गई, जो पिछले छह साल में सबसे निचला तिमाही आंकड़ा है. ऐसे में मोदी सरकार के लिए नोटबंदी के नाकामियों से पीछा छुड़ाना आसान नहीं है. कांग्रेस ने अमित शाह पर कटाक्ष करते हुए ट्विटर पर…
राम रहीम की करीबी हनीप्रीत जमानत पर रिहा, कोर्ट से बड़ी राहत?
पंचकूला की एक अदालत ने 2017 में यहां हिंसा के एक मामले में डेरा सच्चा सौदा…