शेतक on्यांचा अजून एक कहर !
देश की राजधानी दिल्ली में जहां कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन कर रहे हैं, वहीं उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में किसानों के साथ बड़ा धोखा हो रहा है. उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में किसानों पर आफत टूटी हुई है. प्राकृतिक आपदाओं के चलते फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई. फसल बीमा होने के बाद भी इन्हें बीमे की राशि नहीं मिल सकी. हमीरपुर जिले के किसानों ने बीमा कंपनियों द्वारा किए गए इस धोखे की कहानी को सुनाया. उनके पास किसान क्रेडिट कार्ड है. किसानों के इस क्रेडिट कार्ड खाते से बैंकों ने फसल बीमा की राशि तो बीमा कंपनियों को भेज दी, लेकिन किसानों को इसका कोई लाभ नहीं मिल सका.
खेती करने के लिए किसान जब बैंक से क्रेडिट कार्ड बनवाते हैं, तो उनकी फसलों का बीमा किया जाता है. बीमे की राशि बैंक द्वारा उनके क्रेडिट कार्ड एकाउंट से काटी जाती है ऐसा ही हुआ बुंदेलखंड के किसानों के साथ उनके खाते से फसल बिमा की कीस्त तो काट ली गई लेकिन जब फसल बर्बाद हई तो उन्ही बिमा राशी नही मिली. किसानों का आरोप है कि हमिरपुर महोबा ,बांदा ,चित्रकूट . जालौन, झांसी, ललितपुर और झांसी सहित सभी सातों जिलो में फसल बीमा के नाम पर हर साल लाखों किसानों से करोड़ों की बीमा किस्त काट कर किसानों के साथ बड़ा मजाक किया जा रहा है. वहीं हमीरपुर के जिला कृषि अधिकारी सरस कुमार तिवारी का कहना है कि किसानों को फसल बीमे का लाभ दिया जा रहा है… वहीं हमीरपुर के जिला कृषि अधिकारी सरस कुमार तिवारी का कहना है कि किसानों को फसल बीमे का लाभ दिया जा रहा है.
बुंदेलखंड में फसलों की क्षतिपूर्ति के नाम पर 25 प्रतिशत किसानों को थोड़ा सा लाभ देकर छला जा रहा है, जिससे यहां के किसानों में भारी आक्रोश है. इस वर्ष रवी के सीजन में बीमा कंपनियों ने 246 दावों में से 146 दावे निस्तारित कर मात्र 97 किसानों को दस लाख रुपया मुआवजा दे कर अपना पल्ला झाड़ लिया है… बीमा कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि हम पैसे दे रहे हैं. बजट आ गया है. लेकिन बीमा के लाभ के लिए इंतजार करना किसानों के लिए बड़ी सजा है..
वहीं इस मामले में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि बीजेपी सरकार हमेशा से किसान विरोधी रही है, ये उसी बेपरवाही का नतीजा है, कि इतने बड़े मामले में सरकार कुछ भी नहीं कर रही है.
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