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Uncategorized - November 25, 2019

महाराष्ट्र में सरकार गठन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला टला

महाराष्ट्र में सरकार गठन के मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अब कल यानी मंगलवार को आएगा. दरअसल, सभी पक्षों की दलीलों सुनने के बाद सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कल तक के फैसला टाल दिया. इसका मतलब यह है कि आज बहुमत परीक्षण नहीं होगा. एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना की ओर से तत्काल फ्लोर टेस्ट कराने की मांग की गई थी.

इससे पहले, अजित पवार के वकील ने अदालत में अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा कि अजित पवार ही एनसीपी हैं. अजित पवार का दावा है कि वह ही असली एनसीपी हैं. वहीं, राज्यपाल के सचिवालय की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बहस की शुरुआत करते हुए पूछा कि क्या जुडिशरी सरकार के फैसले का रिव्यू कर सकती है. मेहता ने कहा कि गवर्नर ने 24 अक्टूबर से लेकर 9 नवंबर तक इंतजार किया लेकिन कोई सरकार बनाने के लिए सामने नहीं आया. इसके बाद, सबको मौका दिया गया, लेकिन सरकार नहीं बनी तो राष्ट्रपति शासन लगाया गया. तुषार मेहता ने जज से कहा कि आपने हॉर्स ट्रेडिंग के बारे में सुना होगा लेकिन यह एक ऐसा मामला है जहां पूरा का पूरा अस्तबल ही चोरी हो गया.

कोर्ट में एनसीपी नेता अजीत पवार की भी चिट्ठी पढ़ी गई। चि‌ट्ठी के मुताबिक, अजीत पवार ने खुद को विधायक दल का नेता बताया और कहा कि वह बीजेपी को समर्थन देते हैं। तुषार मेहता ने वो दस्तावेज सौंपे, जिनसे जाहिर किया गया कि अजीत पवार ने गवर्नर को 54 एनसीपी विधायकों के समर्थन वाली चिट्ठी सौंपी थी। मेहता ने बताया कि 22 नवंबर को अजीत वार का लेटर मिलने के बाद फडणवीस ने सरकार बनाने का दावा किया। उनके पास 11 निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन था। इसके बाद गवर्नर ने प्रेसिडेंट को चिट्ठी लिखी और प्रेसिडेंट रूल हटाने के लिए कहा- समर्थन की चिट्ठी पर गवर्नर को शक क्यों नहीं हुआ, इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जब पार्टियां और राजनेता लगातार अपना रुख बदल रही हैं, ऐसे में गवर्नर को कैसे पता लगेगा कि भविष्य में क्या होने वाला है?

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान भाजपा के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि जिसकी संख्या ज्यादा हो उसका ही स्पीकर होना चाहिए. उन्होंने कहा कि स्पीकर पर फैसला विधासभा की बैठक में होना चाहिए.

वही कपिल सिब्बल ने सुनवाई के दौरान सुबह-सुबह राष्ट्रपति शासन हटाए जाने के फैसले पर सवाल उठाए. सिब्बल ने कहा कि क्या कोई राष्ट्रीय आपदा थी कि सरकार को इस तरह का कदम उठाना पड़ा. महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले तीन चार दिनों से जो हैरान कर देने वाले जोड़-तोड़ और ट्विस्ट हुए हैं क्यों कि सभी पार्टियां महाराष्ट्र में अपनी सरकार बनाने की जद्दोजहद में जुटी हुई है हर कोई अफनी पार्टियों को, विधायकों को टूटने से बचाने की जीतोड़ कोशिश में लगे हुए है. वही कल देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट कल क्या सुनवाई करती है या फिर दो दिन की तरह फैंसला टाल देती है.

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