रोहित वेमुला की याद में लोग मना रहे ‘शहादत दिवस’, तुम इतनी जल्दी क्यों चले गए दोस्त…?
जय भीम रोहित
रोहित वेमुला ने कभी इस दुनिया को छोड़कर जाना नहीं चाहा होगा। रोहित वेमुला की आत्महत्या-हत्या इस सबसे अलग थी। वह समाज और लोगों की आँखों के सामने घटती रही, टेलीविज़न पे, सोशल मीडिया में, और फिर भी, हम सब, समाज और सरकार उसको बचा नहीं पाए।रोहित वेमुला की आखिरी चिट्ठी पढ़ें तो साफ़ समझ आता है कि नहीं, रोहित वेमुला ने अपनी जान नहीं ली।
रोहित वेमुला की जान ली है जाति व्यवस्था के उस भयावह पिंजर ने जिस पर हमारी तथाकथित लोकतान्त्रिक व्यवस्था टिकी हुई है। रोहित वेमुला को अपनी जान लेने के लिए मजबूर किया गया क्यूंकि उसने बहुजनों पर, अपने लोगों पर लगातार किये जा रहे अन्याय के खिलाफ खड़े होने की हिम्मत की।
आज पिछले 5 साल में तुम्हारे जाने के बाद भी बदला तो बहुत कुछ लेकिन जालिमों का जुल्म लगातार जारी है..फिर चाहे वो CAA के बहाने मिरान हैदर पर हो असिफ तनाह पर हो या फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर वरवर राव पर हो.. जिसे आज भी हम जैसे युवा बाकायदा इस कब्ज़े को देख पा रहे हैं, झेल रहे हैं और उसके खिलाफ़ खड़े होने की हिम्मत जुटा रहे हैं. तुमने हिम्मत दी, आज जाने कितने रोहित पैदा हो रहे हैं, लड़ रहे हैं. अब सवाल और पूछे जाने लगे हैं, आज के युवा बेचैन हैं. तुम होते, तो साथ मिलकर लड़ते दोस्त….
हालांकि रोहित ने अपने इस पत्र में अपनी मौत के लिए किसी को सीधे तौर पर जिम्मेदार नहीं बताया था लेकिन इसे पढ़कर आसानी से उनके जीवन और संघर्ष के मर्म को समझा जा सकता है। आज 2021 में रोहित वेमुला को दुनिया से गए 5 साल हो गए, लेकिन आज भी रोहित की यादें, उनका संघर्ष छात्रों की प्रेरणा का स्रोत है।
रोहित वेमुला की याद में आज छात्र देश के अलग-अलग विश्वविद्यालयों में शहादत दिवस मना रहे हैं, सरकार की नीयत और नीतियों पर सवाल उठा रहे हैं तो वहीं ट्विटर पर रोहित वेमुला शहादत दिवस टॉप ट्रेंड कर रहा है। जाहिर है रोहित इस दुनिया से जा चुके हैं लेकिन आज भी उनका विरोध सरकार का पीछा नहीं छोड़ रहा। भरोसा है कि सितारों के बीच तुम ख़ुश होंगे एक बार फिर से तुम्हें इंकलाबी सलाम करने का मन है, ज़िन्दा रहना हममे, हम लड़ेंगे साथी, जब तक लड़ने की ज़रूरत बाकी होगी…….
अलविदा दोस्त
जय भीम, हूल जोहार
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