सवर्णों के समाज में गरीबों का हक दृढ़ करने वाले शख्सियत को जानिए
By_Sobran Kabir
देश के सवर्ण समुदाय के बीच एक और जहां सामंतवादी, मनुवादी विचारधारा विद्यमान है वहीं पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह जी की विचारधारा के सवर्ण सामाजिक चिंतक भी इसी समाज में मौजूद हैं, जो सबको समान भागीदारी की विचारधारा को मानते हैं।।
मित्र रमाशंकर सिंह… वीपी सिंह की विचारधारा को मानने वाले युवा सामाजिक – राजनीतिक चिंतक हैं।। युवा पीढ़ी के उभरते सामाजिक, राजनैतिक चिंतक मित्र रमाशंकर सिंह ने वंचित समाज के हीरो और सामाजिक, राजनीतिक फिलोसोफर, समाजवादी नेता मित्र लौटनराम निषाद जी पर ये गंभीर टिप्पणी की है।।
ये खुशी की बात है कि मित्र रमाशंकर सिंह जैसे विद्वान अब देश के पिछड़े वर्गों से आने वाले लौटनराम निषाद जैसे इंटैलेक्चुअलों को गंभीरता से ले रहे हैं, उन पर टिप्पणी भी कर रहे हैं।। रमाशंकर जी ने लौटनराम जी पर जो टिप्पणी की है ..उसे पढ़ा जाऐ….
क्या आप चौधरी लौटनराम निषाद को जानते है? नहीं जानते होंगे। कोई सबको नहीं जानता है। हमारे परिचय का सीमित संसार होता है। लौटनराम निषाद समाज के ग्राम्शी हैं। उन्होंने बहुत ही कम कीमत पर ‘निषाद ज्योति’ पत्रिका एक दशक से ज्यादा समय तक निकाली है। यह पत्रिका शिकागो के स्कॉलर उतनी ही शिद्दत से ढूँढ़ते हैं, जितनी शिद्दत से इलाहाबाद के लोग।
हिंदी भाषा के लिए जो काम महावीर प्रसाद द्विवेदी ने किया, वही काम निषादों के लिए चौधरी लौटनराम निषाद ने किया है। एक बुद्धिजीवी जो भी संभव काम कर सकता है, वे करते हैं। उन्होंने निषादों सहित कमजोर और गरीब तबकों को न केवल संगठित किया है बल्कि अब मुख्यधारा की राजनीति में ला रहे हैं।
उनका लिखा और संपादित काम 14 हजार पृष्ठों में फैला है। वे जितनी तार्किकता से किसी रैली को संबोधित करते हैं उतनी ही तार्किकता से किसी कैम्ब्रिज ट्रेंड इतिहासकार से बात कर सकते हैं। वह अंबेडकर, मंडल कमीशन से लेकर कुबेरनाथ राय तक पर अधिकार से बात कर सकते हैं। व्यक्तिगत रूप से सरल, संकोची और मितव्ययी इस मानुष का न तो आज जन्मदिन है और न ही वह सांसद हुआ है लेकिन ऐसे मनुष्यों के कारण मन में यह विश्वास पनपता है कि दुनिया की गैर-बराबरी, हिंसा और बहिष्करण को कम करने, समाप्त करने वाले लोगों का एक बड़ा हिस्सा इसी समाज में सक्रिय है और वह दुनिया को बेहतर बनाना चाहता है। यह मेरी सदिच्छा है, और राजनीतिक अभिलाषा भी कि वे भारत की संसद में बोलें…
ये लेख सोबरन कबीर जी के फेसबुक वॉल से साभार लिया गया है.
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