दिल्ली के प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा वह आपातकालीन इस आपातकालीन से अच्छी थी
राजधानी दिल्ली में लोगों का प्रदूषण से बुरा हाल हो रखा है और हवा में कोई सुधार होता नहीं दिखाई दे रहा है.आज भी दिल्ली के कई शहरों का वायु गुणवत्ता सूचकांक खतरे के निशान से उपर है. दरअसल पिछले सप्ताह कुछ दिन हवा की स्थिति ठीक रहने से दिल्ली-एनसीआर के लोगों को प्रदूषण से थोड़ी राहत जरूर मिली थी. लेकिन रविवार के बाद से दिल्ली की हवा लगातार जहरीली होती जा रही है और इसी जहरीली हवा के चलते लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. अगर हम अब की बात करें तो दिल्ली-एनसीआर में नोएडा की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है. जहां AQI 482 तक पहुंच गया. जबकि गाजियाबाद का AQI भी 482 ही रहा. दिल्ली की बात करें तो यहां का AQI 467 रिकॉर्ड किया गया.
लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली-एनसीआर के सभी स्कूलों को 14-15 नवंबर तक के लिए बंद करने का आदेश जारी कर दिया गया. साथ ही यूपी सरकार ने भी बागपत जिले के सभी स्कूल को दो दिन तक बंद करने का आदेश दिया है. वहीं बुधवार की तरह गुरुवार को भी दिल्ली के मौसम में कोई सुधार होता नहीं दिखाई दिया. गुरुवार को सुबह से ही पूरी राजधानी धुंध की चादर में लिपटी हुई नजर आ रही है और वायु गुणवत्ता ‘गंभीर श्रेणी’ में बनी हुई है.
आज भी प्रदूषण से बुरा हाल है. दिल्ली के कई इलाक़ों में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI 700 के पार चला गया है. और द्वारका में तो AQI 900 के पार है और 10 सबसे प्रदूषित इलाक़ों में 9 दिल्ली के हैं. नोएडा, ग़ाज़ियाबाद और गुरुग्राम में भी हालात ऐसे ही नजर आए. दरहसल आज दिल्ली मेंऑड-ईवन का अंतिम दिन है. जो कि 4 नवंबर से इसे शुरू किया गया था. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि ज़रूरत पड़ने पर इसे बढ़ाया भी जा सकता है. दूसरी तरफ दिल्ली-NCR के स्कूल आज भी प्रदूषण की वजह से बंद हैं और दिल्ली के द्वारका, पूसा रोड, रोहिणी, सत्यवती कॉलेज जैसे इलाकों में सबसे ज़्यादा प्रदूषण का स्तर मापा गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण पर काबू पाने में विफल रहने के लिये संबंधित प्राधिकारियों को फटकार लगाई है. शीर्ष अदालत के मुताबिक राज्य सरकारें एक-दूसरे पर ठीकरा फोड़ने में व्यस्त हैं और लोगों को मरने के लिये छोड़ दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 1975 की इमरजेंसी भी इस इमरजेंसी से बेहतर थी. दिल्ली में हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है और इसके चलते यहां जन स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया है.
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पराली जलाये जाने की घटनाओं को भी गंभीरता से लिया. उसने कहा कि हर साल निरंकुश तरीके से ऐसा नहीं हो सकता. पीटीआई के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया क्या इस वातावरण में हम जीवित रह सकते हैं. यह तरीका नहीं है जिसमें हम जीवित रह सकते हैं. शीर्ष अदालत ने कहा दिल्ली का हर साल दम घुट रहा है और हम इस मामले में कुछ भी नहीं कर पा रहे है. सवाल यह है कि हर साल ऐसा हो रहा है. किसी भी सभ्य समाज में ऐसा नहीं हो सकता. पीठ ने दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को भयानक बताया और कहा कि अपने घरों के भीतर भी कोई सुरक्षित नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकारों की जिम्मेदारी तय करने की बात भी कही. उसका कहना था कि राज्य सरकारें लोगों को सलाह दे रही हैं कि प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुये वे दिल्ली नहीं आयें. अदालत ने कहा कि इस स्थिति को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. मीडिया दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण पर किसानों के पराली जलाते हुए विजुअल दिखा रहा है, लगभग हर न्यूज़ चैनल पर यह दृश्य दिखाए जा रहे हैं… लेकिन क्या यही मीडिया आपको बताता है कि थर्मल पावर प्लांट के फैलाए गए वायु प्रदूषण से एक वर्ष के भीतर कुल 76 हजार समयपूर्व मौतें हो चुकी हैं ओर देश के पर्यावरण मंत्रालय ने कोयले से चलने वाले थर्मल पावर प्लांट्स से होने वाले वायु प्रदूषण के तय मानकों को घटाने के बजाए बढाने की मंजूरी दे दी हैं ओर यह मंजूरी सिर्फ इसलिए दी गयी है कि यह थर्मल पावर प्लांट अडानी के है. विश्व के सबसे ज्यादा प्रदूषित दस शहरों में से सात भारत में है और वो इसलिए है कि नेता और मीडिया किसानों के पराली जलाने के पीछे पड़े रहते हैं असली कारणों की तरफ बिल्कुल ध्यान नही देते.
(अब आप नेशनल इंडिया न्यूज़ के साथ फेसबुक, ट्विटर और यू-ट्यूब पर जुड़ सकते हैं.)
Remembering Maulana Azad and his death anniversary
Maulana Abul Kalam Azad, also known as Maulana Azad, was an eminent Indian scholar, freedo…