मुलायम अखिलेश मायावती को रैली में एक साथ देख किसे हुई तकलीफ?
By-Ratnesh Yadav,Research Scholar,Ambedkar University,Lucknow
हाँ कल के ऐतिहासिक पल को देखकर मुट्ठीभर लोगो को तकलीफ़ हुई होगी। मैं तो कहता हुँ तकलीफ होना लाज़मी है क्योंकि उनके पूर्वजों ने दलित-पिछड़ो की राजनीति को कमजोर करने के लिये कड़ी मेहनत की थी।
समाज में दुश्मन कोई दूसरा था और हम आप सपा-बसपा को ही एक दूसरे का दुश्मन मान बैठे थे, माने भी न क्यों? जातिवादी व साम्प्रदायिक मीडिया हमें तोड़ने के लिये हर दिन नये प्रपंच रचती थी।
सपा-बसपा के लोग तो एक ही तो हैं, एक ही मेहनतकश, पशुपालक, कृषक समाज से तो हैं। फिर दुश्मनी क्यों?
आपसी मतभेद को खत्म करने के लिये अखिलेश जी का पहला क़दम ही निर्णायक साबित हुआ था। आज उसी का परिणाम है कि असम्भव सी चीज़ सम्भव हो गई।
समाजवादी पार्टी व बसपा के लोगो का नज़रिया एक दूसरे प्रति नफरत से सम्मान में बदल गया। अखिलेश जी ने पूरी मेहनतकश आवाम को अल्प समय में ही इतने क़रीब ला दिया कि आने वाले समय में हमारा समाज शोषण मुक्त हो जायेगा।
हमारी आने वाली पीढ़ी अखिलेश जी को बहुजन समाज के सबसे मज़बूत नायक के रूप में याद रखेगी।
Via-Ratnesh Yadav,Research Scholar,Ambedkar University,Lucknow
बाबा साहेब को पढ़कर मिली प्रेरणा, और बन गईं पूजा आह्लयाण मिसेज हरियाणा
हांसी, हिसार: कोई पहाड़ कोई पर्वत अब आड़े आ सकता नहीं, घरेलू हिंसा हो या शोषण, अब रास्ता र…