Home International ग्‍लोबल टाइम्‍स की धमकी, पांच सूत्री सहमति लागू करे भारत नहीं तो चीन युद्ध को तैयार
International - September 16, 2020

ग्‍लोबल टाइम्‍स की धमकी, पांच सूत्री सहमति लागू करे भारत नहीं तो चीन युद्ध को तैयार

लद्दाख में जारी तनाव के बीच चीनी मीडिया ने भारत को धमकी दी है। चीनी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स ने कहा क‍ि भारत 5 सूत्री समझौते को लागू करे, नहीं तो चीन युद्ध के ल‍िए तैयार है।

पूर्वी लद्दाख में चल रहे तनाव के बीच चीन के नेता एक तरफ जहां शांति की बात कर रहे हैं, वहीं उसका सरकारी भोपू ग्‍लोबल टाइम्‍स युद्ध की धमकी देने में लगा हुआ है। चीन के सरकारी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स के संपादक हू शिजिन ने कहा कि चीनी सेना भारतीय टैंकों का खात्‍मा करने का अभ्‍यास कर रहे हैं। उन्‍होंने धमकी दी कि अगर भारत ने मास्‍को में विदेश मंत्रियों के बीच हुई पांच सूत्री सहमति को लागू नहीं करता है तो चीनी सेना भारत को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है।



रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के संसद में दिए बयान के बाद चीन को तीखी मिर्ची लगी है। शिजिन ने दावा किया कि चीनी सेना के दबाव की वजह से भारतीय सेना के रुख में नरमी आई है। उन्‍होंने कहा कि पीएलए पैंगोंग झील के पास भारत-चीन सीमा पर निर्णायक कार्रवाई के लिए अपनी तैनाती को बढ़ा रही है। ग्‍लोबल टाइम्‍स के एडिटर ने कहा कि बीजिंग चीन-भारत सीमा विवाद को शांतिपूर्वक सुलझाने के लिए प्रयास कर रहा है लेकिन अपनी सेना को तैयार रखेगा।

उधर, ग्‍लोबल टाइम्‍स ने विशेषज्ञों के हवाले से दावा किया कि भारत कठोर रवैया अपना रहा है और दोनों के बीच यह तनाव आने वाले ठंड के महीनों तक जारी रह सकता है। उसने कहा कि चीनी सेना को सर्दियों के मौसम तक गतिरोध के जारी रहने के लिए तैयार रहना चाहिए। बता दें कि भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच 5 सूत्री सहमति होने के बाद भी चीन का सरकारी प्रोपेगैंडा मीडिया भारत को धमकाने और मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने में जुटा हुआ है।

चीनी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स ने चीनी विश्‍लेषक झांग शेंग के हवाले से दावा किया कि भारत पंडित जवाहर लाल नेहरू की गलती को दोहरा रहा है। उसने कहा कि भारत का वर्तमान प्रशासन सीमा पर आक्रामक व्‍यवहार दिखा रहा है। झांग ने कहा कि वर्तमान स्थिति वर्ष 1962 की तरह से ही है। उन्‍होंने आरोप लगाया कि भारत अपने हितों के लिए अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय की मदद से चीन पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है। वर्ष 1962 में चीन सबसे अलग थलग था। उस समय चीन अमेरिका से मुकाबला कर रहा था और उस समय रूस से भी चीन अलग राह पर चल रहा था। जबकि भारत उस समय गुटन‍िरपेक्ष आंदोलन का अगुवा था।

(अब आप नेशनल इंडिया न्यूज़ के साथ फेसबुकट्विटर और यू-ट्यूब पर जुड़ सकते हैं.)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन को 100 दिन पूरे होने को हैं…