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International - Opinions - April 24, 2017

पीएम मोदी के इजरायल दौरे पर हो सकते बड़े रक्षा करार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगामी इजरायल दौरे पर भारतीय नौसेना के लिए एयर डिफेंस सिस्टम की खरीद समेत कुछ बड़े करार हो सकते हैं। किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री का ये पहला इजरायल दौरा होगा। यह दौरा जुलाई में संभावित है। इस दौरे के बारे में इजरायली राजदूत डेनियल कैरमन ने कहा कि यह एक ‘बड़ी’ यात्रा होगी, जो विभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच के सहयोग की गहराई को दर्शाएगी।

ऐसी संभावना है कि पीएम मोदी के तेल अवीव दौरे के वक्त नौसेना के लिए बराक-8 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की खरीद का सौदा और भारतीय नौसेना के लिए स्पाइक टैंक-रोधी मिसाइलों की खरीद का सौदा हो सकता है। इजरायली राजदूत डेनियल कैरमन ने पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा, ‘भारत और इजरायल के संबंध पर्याप्त तौर पर प्रगाढ़ हैं। यदि यह यात्रा होती है तो यह बेहद अहम रहेगी। यह पिछले कई साल में की गई इजरायल की सबसे अहम यात्राओं में से एक होगी।’ मोदी की इजरायल यात्रा का समय दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्तों की स्थापना के 25 साल पूरे होने पर पड़ रहा है। इस दौरान कई अन्य रक्षा सौदों पर भी चर्चा हो सकती है।

इजरायली राजदूत से जब यह पूछा गया कि किन रक्षा सौदों पर दस्तखत हो सकते हैं तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि दोनों देशों के रिश्ते खरीद-बिक्री से परे हो चुके हैं और दोनों देश मुख्य तौर पर जॉइंट रिसर्च और डिवेलपमेंट पर फोकस कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘इजरायल के भारत के साथ बहुत अच्छे संबंध रहे हैं और इस संबंध के कई पहलू हैं जिनमें रक्षा क्षेत्र भी शामिल है।’

भारत-इजरायल के रक्षा संबंधों से वाकिफ लोगों का कहना है कि प्रधानमंत्री के इस दौरे में कई अरब डॉलर के 2 बड़े समझौतों को अंतिम रूप दिया जा सकता है। दरअसल भारत इजरायल के सैन्य साजोसामान का सबसे बड़ा खरीदार है। इतना ही नहीं, इजरायल पिछले कुछ सालों से भारत को कई तरह के हथियारों, मिसाइलों और मानवरहित हवाई यानों (UAV) की आपूर्ति करता रहा है। लेकिन ये सौदे आम तौर पर पर्दे के पीछे होते रहे हैं।

इस साल फरवरी में भारत ने सेना के लिए सतह से हवा में मार करने वाली मध्य श्रेणी की एक मिसाइल को इजरायल के साथ संयुक्त तौर पर विकसित करने के लिए 17,000 करोड़ रुपये के डील को मंजूरी दी थी। इस डील का औपचारिक ऐलान पीएम मोदी के इजरायल दौरे के वक्त किया जा सकता है।

कैरमन ने कहा कि पिछले कुछ सालों से कई अलग-अलग क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच रिश्ते काफी विस्तृत हुए हैं और दोनों देशों ने आपसी संबंधों को और ज्यादा गहरानी देने का फैसला किया है। उन्होंने कहा, ‘हम वास्तव में उन चीजों के बारे में बात कर रहे हैं जो काफी अहम और गहराई वाली हैं।’

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