जाति है कि जाती नहीं-हरियाणा के पानीपत में बहुजन युवक का तलवार से काटा हाथ…
जाति के नाते कोई इतना न दबंग हो जाता है कि वह जिसे चाहे मार दे या काट दे,वहीं दमित समाज सदियों से इन ज्यादतियों को झेलने को बाध्य है। मामला हरियाणा के पानीपत के रजाखेड़ी गांव का है।एक अनुसूचित जाति के परिवार द्वारा तेज गति से गाड़ी चलाने पर एक युवक को मना किया गया तो वह इतना न नाराज हो गया कि रात के 11 बजे अपने तीन साथियों के साथ अनुसूचित जाति परिवार के घर में पँहुच तलवार से हमला बोल दिया जिसमें एक युवक का हाथ कट गया।
अनुसूचित जाति परिवार के अजय ने बताया कि गांव की गली में तेज गति से मोटरसाइकिल चलाने पर मना करना उस युवक को नागवार लग गया लिहाजा वह घर आकर हम सबको जातिसूचक गालियां देते हुये अपने साथ आये अन्य दो के साथ हमला बोल दिया जिसमें अजय का हाथ कट गया।03 सितम्बर 2021 को छपी खबर के मुताबिक पुलिस ने एससी-एसटी एक्ट सहित 323,324,506 आदि धाराओं मे मुक़दमा दर्ज कर लिया है। यदि कोई गैर अनुसूचित जाति है और गलती कर रहा है तो अनुसूचित जाति होकर आपका उलाहना देना या टोकना कत्तई धर्मसंगत नही है ऐसा मनु महाराज का कथन है।गांव में ये मनुवादी दबंग चाहे जैसे गाड़ी चलावें लेकिन आपको क्या,आप क्यों टोकेंगे? अनुसूचित जाति होकर उलाहना देना,यही नागवार लग गया उस नौयुवक को और उसने घर मे घुसकर हाथ काट डाला जैसे शम्बूक का गर्दन त एकलब्य का अंगूठा काट दिया गया था।जाति का नशा बहुत खराब नशा है जिसमें व्यक्ति इंसान नही बल्कि दूसरों को पशुवत समझता है और खुद भी पशुवत हो जाता है।

जाति सर चढ़के बोलती है क्योकि इसका नशा अव्वल दर्जे का होता है।जाति का गुमान सारे अभिमान पर भारी है तभी तो दुनिया के श्रेष्ठतम विद्वान बाबा साहब डा भीम राव अम्बेडकर जी की विद्वत्ता मनुवादियों को पचती नही है।यह कहीं न कहीं,किसी न किसी रूप में उनके मुख से बोमटी कर ही जाती है।
वहीं यूपी के रामपुर जनपद के शहनाजपुर थाना के ग्राम नरखेड़ा में 1995 में आराजी नम्बर 337 रकबा 405 एयर अम्बेडकर पार्क हेतु प्रस्तावित हो खतौनी में दर्ज हो चुका है ।

इस अम्बेडकर पार्क में लगे बोर्ड पर बाबा साहब के बने चित्र पर कुछ मनुवादियो ने कालिख पोत उन्हें जातिसूचक शब्दो के जरिये अपमानित करने का प्रयास किया है जिसको लेकर आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति-रामपुर के जिलाध्यक्ष राजाराम अम्बेडकर जी आदि ने 29 अगस्त 2021 को आंदोलन किया जिसके बाद प्रशासन की नींद टूटी और पुलिस द्वारा स्वयं कालिख धुलकर साफ किया गया। पुलिस क्षेत्राधिकारी अनुज चौधरी जी ने मुकदमा लिखवाकर इस प्रकरण की जांच करवाने का आदेश तो दे दिया पर सवाल मुकदमा या जांच से ऊपर है।हमारा समाज इतना सड़ा हुआ है कि वह उन्हें गांव-गांव बर्दाश्त कर ले रहा है जिनका कोई समाज या मानवता के उत्थान में योगदान नही है लेकिन बाबा साहब डा अम्बेडकर उसे बर्दाश्त नहीं हैं जिनका बहुजन,आदिवासी,पिछड़े,अल्पसंख्यक,महिलाओं एवं मजदूरों आदि के लिए बहुत बड़ा सार्थक योगदान है क्योकि वे जाति से अछूत थे।स्पष्ट है कि आप कितने न ज्ञानी या महान क्यों न हो जांय पर “जाति है कि जाती नहीं।”
-चन्द्रभूषण सिंह यादव, लेखक
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