दिल्ली जैसे हाईटेक जगहों पर भयंकर जातिवाद, बहुजन प्रोफेसर को भरी मीटिंग में जड़ा थप्पड़
लोग पीएचडी कर लिए,प्रोफेसर हो गए लेकिन जेहन में जहालत भरी पड़ी है तभी तो हिंदी विभाग की एक बहुजन एसोसिएट प्रोफेसर डॉ नीलम को टीचर इंचार्ज डा रंजीता कौर ने हिंदी विभाग के टीचर्स मीटिंग में 13 शिक्षकों के बीच थप्पड़ जड़ दिया। मामला किसी गांव,कस्बे या छोटे-मोटे शहर का नहीं बल्कि देश की राजधानी दिल्ली का है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई कालेज की टीचर्स हेड डा रंजीता कौर ने 13 प्रोफेसर्स के मध्य 16 अगस्त 2021 को चल रही मीटिंग में जब कुछ प्रस्ताव लिखकर उन पर हस्ताक्षर हेतु डा नीलम को दिया तो उन्होंने उसे पढ़ना शुरू कर दिया,फिर क्या डा रंजीता का पारा चढ़ गया कि बहुजन होकर वह उनके लिखे प्रस्ताव को पढ़कर दस्तखत करेगी?डा रंजीता कौर ने डॉ नीलम की मिनिट्स बुक में लिखे गए मेमोरेंडम्स को पढ़ने की गुस्ताखी की सजा सरेआम थप्पड़ रसीद कर दे दी जबकि बताया जा रहा है कि डॉ नीलम के गाल का ऑपरेशन कुछ ही दिन पहले हुआ है जिस पर उन्होंने थप्पड़ जड़ा है।

दिल्ली जैसे शहर में एक पीएचडी महिला प्रोफेसर द्वारा दूसरे पीएचडी महिला प्रोफ़ेसर को थप्पड़ मारने की यह घटना न केवल शर्मनाक, दुःखद,अशोभनीय है बल्कि समाज की हजारों वर्ष की सड़ी हुई जातिवादी मानसिकता की परिचायक है।जाति कितनी गहराई तक जमी हुई है,इसका इससे बड़ा प्रमाण न होगा क्योंकि यह जाति भारतीय सन्दर्भ में न धर्म बदलने से जाती है और न उच्च शिक्षा अथवा धनाढ्य हो जाने से,यह जाति यथावत हर हाल में बनी रहती क्योकि “जाति है कि जाती नहीं”।

इस घटना को लेकर कॉलेज की प्राचार्य प्रोफेसर प्रत्युषा बसला ने कहा कि दोनों पक्षों को बुलाकर मामले की जांच की जा रही है। डीयू के डीन ऑफ कॉलेज प्रोफेसर बलराम पानी ने इस घटना को शर्मनाक बताते हुए कहा कि किसी हालत में आप किसी पर हाथ नहीं उठा सकते हैं।
The Rampant Cases of Untouchability and Caste Discrimination
The murder of a child belonging to the scheduled caste community in Saraswati Vidya Mandir…