OBC आरक्षण हुआ लोकसभा में पारित लेकिन जातिवार जनगणना को लेकर छिड़ी मुहिम
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले जातिगत जनगणना (Caste Census) को लेकर लगातार आवाज़ उठ रही है. विपक्ष की कई पार्टियों के द्वारा उठाई जा रही . जिसकी आवाज अब देशभर में तेज हो गई है.
वही 10 अगस्त को लोकसभा ने संविधान संशोधन (127वां) विधेयक पारित कर दिया है। इस विधेयक के तहत राज्य सरकारों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण की सूची तैयार करने और अपने हिसाब से उन्हें आरक्षण देने का अधिकार मिल जाएगा।

सरकार की ओर से सदन में रखे गए इस संविधान संशोधन विधेयक का समर्थन विपक्ष के कांग्रेस, टीआरएस, टीएमसी, बसपा, सपा, एनसीपी ने भी किया।
इन दलों ने इस विधेयक का समर्थन करने के साथ ही 50 फीसदी आरक्षण की सीमा पर सवाल उठाए और इसे बढ़ाए जाने की माँग की।
अगले साल उत्तर प्रदेश समेत पाँच राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। यूपी की बीजेपी सरकार ओबीसी आरक्षण के लिए नई सूची जारी कर उन समुदायों को लुभाने की कोशिश कर सकती है, जिनके वोट इसे मोटे तौर पर नहीं मिलते रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में भाजपा की साथी अपना दल की ओर से भी जातिगत जनगणना का समर्थन किया गया है. हालांकि, केंद्र सरकार की ओर से पिछले महीने ही सदन में बता दिया गया था कि भारत सरकार की ओर से अभी जातिगत जनगणना कराने की कोई तैयारी नहीं है.
सरकार ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि अगर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) का निजीकरण करने का फैसला किया जाता है तो नागरिकों का एक वर्ग अपने रोजगार आरक्षण को खो देगा।
इस मामलें पर एडवोकेट धर्मेंद्र सिंह कुशवाहा ने ट्वीट किया है कि सभी ओबीसी शिक्षक अभ्यार्थियों से निवेदन है कि मनुवादी मीडिया द्वारा27%आरक्षण पर रोक लगाने का प्रचार किया जा रहा है जबकि केवल पीएससी एवं स्वास्थ्य विभाग पर 13% होल्ड किया गया है जबकि किसी भी विभाग मैं 27%आरक्षण पर रोक नहीं है.
इसके अलावा इस विधेयक के पारित होने के बाद महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण का रास्ता साफ हो सकता है।
सत्य हिंदी की खबर के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने अपने हालिया फ़ैसले में कहा था कि ओबीसी सूची बनाने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार को है, इससे मराठा आरक्षण की राह में अड़ंगा लग गया था।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने इसके बाद संविधान संशोधन की माँग की थी।
तृणमूल कांग्रेस के सदस्य कल्याण बनर्जी ने संविधान संशोधन विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि राज्यों को और अधिकार मिलने चाहिए। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने सही तथ्य सदन में नहीं रखे। उन्होंने कहा कि क्रीमी लेयर की अवधारणा सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी केस से आई थी, किसी सरकार ने यह नहीं किया था।
समाजवादी पार्टी ने भी संविधान संशोधन विधेयक का समर्थन किया, लेकिन 50 प्रतिशत की सीमा के प्रावधान पर सवाल उठाए और इसे बढाने की माँग की।

सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा कि राज्यों को ओबीसी सूची बनाने का अधिकार देना अच्छा है, लेकिन 50 फ़ीसदी आरक्षण की सीमा को बढाया जाना चाहिए।
उन्होंने बीजेपी पर जातियों में मतभेद फैलाने का आरोप लगाया। उन्होंने इसके साथ ही यह भी कहा कि यूपी में सपा की सरकार आएगी तो जातिगत जनगणना कराएगी।
बीएसपी सदस्य रीतेश पांडेय ने बीजेपी पर जातिगत राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि सवर्णों और पिछड़े वर्गों के बीच आरक्षण की बात हो रही है, लेकिन पर्दे के पीछे नौकरियों को ख़त्म करने का खेल चल रहा है।
उन्होंने मायावती और कांशीराम द्वारा मंडल आयोग की सिफ़ारिशों को लागू करने के लिए किए गए संघर्ष की याद भी दिलाई।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की थी। उन्होंने 50 फ़ीसदी आरक्षण की सीमा को लेकर आ रहे अवरोध को भी दूर करने की माँग की। उन्होंने इसके साथ ही कहा कि हर तीन साल पर क्रीमीलेयर की समीक्षा की जानी चाहिए।

वहीं मध्य प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र नहीं चल सका. चार दिन के होने वाले सत्र के दूसरे दिन ही विधानसभा अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई. दरअसल, कांग्रेस के विधायकों ने 10 अगस्त को शिवराज सरकार को पिछड़ा वर्ग को अब तक नहीं मिल पा रहे 27 % फ़ीसदी आरक्षण के मामले में घेरा.
कांग्रेस के सारे विधायक सदन में काले एप्रिन पहनकर पहुंचे. एप्रिन पर लिखा है ओबीसी विरोधी है शिवराज सरकार. इसके बाद सदन में ओबीसी आरक्षण को लेकर जमकर हंगामा हुआ. सत्ता पक्ष और विपक्ष के विधायक सामने सामने आ गये.
जिस पर वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने लिखा है कि मध्य प्रदेश का मीडिया राज्य में 27% OBC आरक्षण का विरोध करेगा या समर्थन?
खैर अब जाति जनगणना को लेकर भी आवाज तेज हो चुकी है जिसके लिए आज दिल्ली में संसद घेराव किया जा रहा है. बस देखना ये है कि इस पर मोदी सरकार का क्या कुछ फैसला आता है. इसके साथ ही ओबीसी आरक्षण बिल राज्यसभा में मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा। उसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह देश भर में कानून के तौर पर लागू हो जाएगा। इस नए कानून से महाराष्ट्र समेत कई राज्यों को स्थानीय स्तर पर जातियों को ओबीसी आरक्षण की सूची में शामिल करने का मौका मिलेगा।
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