किती कामगार या नवीन सरकारच्या चीनसाठी धोरण आहेत ?
चीन आणि भारत सैनिक यांच्यात रक्तरंजित चकमकीत 20 से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे। जिसका बदला इस देश का हर नागरिक चाहता है। लेकिन लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों के साथ जो धोखा किया, त्यानंतर भारताने कठोर भूमिका घेतली आहे. 15 जूनची रात्री, जेव्हा भारतीय सैनिकांचा एक गट चिनी सैनिकांशी बोलणार होता, तब उनकी तरफ से धोखा किया गया और भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया। और इस बीते एक हफ्ते में अब भारत की ओर से कई कड़े फैसले लिए गए हैं, जे उत्तर देण्यासाठी चीनला पुरेसे आहे.

भारत आणि चीनमधील सीमा विवाद बर्याच वर्षांपासून सुरू आहे., ऐसे में दोनों देशों के बीच समझौता हुआ था कि मुश्किल परिस्थितियों में भी बॉर्डर पर हथियार का इस्तेमाल नहीं होगा। कोई भी सैनिक गोली नहीं चलाएगा, लेकिन गलवान की घटना में चीनी सैनिकों ने इसका उल्लंघन कर दिया। चीनी सैनिकों ने नुकीले हथियारों से भारतीय जवानों पर हमला किया, पण भारताच्या सैनिकांनी प्रोटोकॉलचा पाठपुरावा केला.

इसपर कई तरह के सवाल उठने के बाद अब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की ओर से सेना को खुली छूट है। सूत्रों की मानें, तो सरकार ने कहा है कि अगर बात सैनिकों की जान पर आ जाती है और जान को खतरा होता है तो सेल्फ डिफेंस में कदम उठाएं और प्रोटोकॉल की चिंता ना करें। वहीं चीन और भारत के मुद्दे को लेकर भी विपक्ष ने जमकर बीजेपी पर निशाना साधा।
त्याचबरोबर गॅलवान खो Valley्यात तणाव निर्माण झाल्यापासून तिन्ही भारतीय सैन्य सतर्क आहेत. लडाखमध्ये सतत सैन्य पाठविले जात आहे, बॉर्डर और आसपास के इलाकों में तैनाती बढ़ाई जा रही है। और वायुसेना ने भी लेह एयरबेस पर अपने पैर जमा लिए हैं। इस बीच सरकार की ओर से सेना को इमरजेंसी फंड दिया गया है। इसके तहत 500 कोटी जाहीर झाला आहे, त्याचबरोबर आता लष्करालाही सूट आहे की ते आवश्यकतेसाठी त्वरित कोणतीही शस्त्रे खरेदी करू शकतात.

जानकारी के लिए बता दें की सिर्फ सैन्य तरीके से ही नहीं बल्कि विदेश नीति के मोर्चे पर भी चीन को घेरा जा रहा है। चीन से जारी विवाद के बीच पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से बात की थी। गलवान घाटी के बाद अमेरिका की ओर से भारत के पक्ष में कई बयान दिए गए हैं और घटना के लिए चीन को जिम्मेदार बताया गया है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये ही सरकार को इन सभी नीतियों की अभी ही क्यों याद आई। अगर सरकार ने पहले इन सभी चीजों का ध्यान रखा होता तो चीन आज इतनी हिम्मत ना करता।
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