लखनौ: मुख्यमंत्री-कार्यालयाबाहेर आई-मुलगी आत्महत्या केली !
महिला सुरक्षा को लेकर लाख दावे किए जा रहे हो लेकिन महिलाओं के साथ लगातार बढ़ रहे अत्याचार ये बयां कर रहे है की सरकार हर मुद्दे की तरह यहां भी फैल है। केंद्र सरकार से ना तो क्राइम काबू हो पा रहा है और ना ही बढ़ते महिलाओं के साथ अत्याचार पर।
अशीच आणखी एक घटना लखनौमधून उघडकीस आली असून लखनौच्या हजरतगंज भागात शुक्रवारी संध्याकाळी अमेठी जिल्ह्यातील एक महिला आणि तिची मुलगी यांना मुख्यमंत्री कार्यालयाचा गेट क्रमांक मिळाला 3 के बाहर आत्मदाह का प्रयास किया। दोनों को सिविल हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया है. एका महिन्यापासून पोलिस अधिकारी चक्कर मारत असल्याचा महिलांचा आरोप आहे, परंतु सुनावणी होत नाही.
जानकारी के मुताबिक अमेठी के जमाई की रहने वाली पीड़ित महिला गुड़िया ने अपनी बेटी के साथ लोक भवन के बाहर अचानक अपने आप को आग लगा लिया। इस दौरान मां 80% त्यांची मुलगी जळत असताना 40% जळाला. आईची प्रकृती चिंताजनक असल्याचे सांगितले जाते.
आरोप है कि अमेठी में एक नाली के विवाद को लेकर दबंगों ने उनकी जमकर पिटाई कर दी। एफआईआर लिखवाने पर भी दबंगों ने थाने के बाहर और बाद में जमकर पिटाई की, और यह भी धमकी दी कि एक्सीडेंट कर देंगे और उसमें नाम डलवा देंगे। सुनवाई न होने से नाराज मां-बेटी शुक्रवार को लखनऊ पहुंचकर मुख्यमंत्री से अपनी गुहार लगाना चाह रही थीं।
वहीं इस मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी योगी सरकार को घेरा। अखिलेश ने ट्वीट किया, ‘लखनऊ में लोकभवन के सामने दो महिलाओं द्वारा दबंगों के खिलाफ़ कोई कार्रवाई न होने से हताश होकर आत्मदाह करने की दुःखद ख़बर आयी है। सपा ने लोकभवन इसलिए बनवाया था कि वहां बिना भेदभाव आम जनता अपनी शिकायतों के निवारण के लिए जा सके, लेकिन इस भाजपा सरकार में गरीबों की कोई सुनवाई नहीं।
लेकिन सवाल यही है की अगर समय पर सुनवाई हो गई होती तो दोनों महिलाओं की जान खतरे में ना होती। सरकार को लोगों की परेशानियों को सुनने के लिए सत्ता दी गई है। ना की महिलाओं की जान खतरे में डालने के लिए।
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