सिंधिया की राह पर पायलट, 100 से ज्यादा विधायकों का मिला गहलोत को साथ !
कोरोना संकट के बीच राजस्थान में सियासत का खेल भी जारी है। पहले मध्यप्रदेश और अब राजस्थान में कांग्रेस की सत्ता खतरे में है। तो वहीं दूसरी तरफ SOG ने कांग्रेस के विधायक खरीद फरोख्त मामले में बीजेपी के दो नेताओं को गिरफ्तार किया है। लेकिन इन सबका का कारण अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रहा विवाद बताया जा रहा है। लेकिन अभी भी पायलट पर सवाल खड़े हो रहे है।

राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 में कांग्रेस की जीत के हीरो बने सचिन पायलट ने अब सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया है। पायलट के बीजेपी में जाने की अटकलों के बीच कांग्रेस ने अपने तेवर सख्त कर लिए हैं। लेकिन दूसरी तरफ उन्होने साफ कर दिया है की वो बीजेपी में शामिल नहीं होंगे !

राजस्थान का सियासी संकट गहरा गया है, जो स्थितियां पिछले दो दिनों में बनी हुई हैं, उससे साफ है कि अब सुलह की गुंजाइश नहीं है, बल्कि लड़ाई आरपार की है। सचिन पायलट आगे बढ़ चुके हैं और साफ दिख रहा है कि वे ज्योतिरादित्य सिंधिया की राह पर हैं। राजस्थान के सियासी रण में जारी शह-मात के खेल में पायलट पर गहलोत भारी पड़ते नजर आ रहे हैं।
हालांकि, डेढ़ साल पहले कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने गहलोत को सीएम बनाने का फैसला किया था तो पायलट को पार्टी में एक विक्टिम के तौर पर देखा जा रहा था, लेकिन पार्टी में बगावत की राह अख्तियार कर अब वो विलेन बनते नजर जा रहे हैं।

तो वहीं दूसरी तरफ सचिन पायलट विधायकों की खरीद-फरोख्त की जांच कर रही एसओजी के नोटिस के बाद से ही नाराज हैं। उन्हें कांग्रेस और कुछ निर्दलीय विधायकों का समर्थन है। इस सियासी उठापटक के बीच कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व अशोक गहलोत के साथ खड़ा नजर आ रहा है।

लेकिन इससे साफ जाहिर है कि कांग्रेस आलाकमान पायलट से ज्यादा गहलोत को तवज्जो दे रहा है। कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व की तरफ ले जयपुर भेजे गए नेता गहलोत सरकार को बचाने में जुट गए हैं। अब देखने वाली बात ये होगी की कांग्रेस क्या अपनी सत्ता बचाने में कामयाब हो पाती है या नहीं।
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