Home International Political ये कैसी विदेश नीति है सरकार !
Political - Politics - June 30, 2020

ये कैसी विदेश नीति है सरकार !

By_Mahendra Yadav

भारत-चीन के सीमा विवाद के ताजा मामले में यह साफ हो गया कि कोई भी देश भारत के पक्ष में बोलने को तैयार नहीं है। यह सब तब हुआ है जब भारत के प्रधानमंत्री पिछले छह साल के कार्यकाल में दुनिया भर के देशों में अंतरराष्ट्रीय संबंध मजबूत करते घूमते रहे हैं। दावा ये भी किया जाता रहा है कि पूरी दुनिया में भारत का डंका बज रहा है।

1962 की भारत-चीन लड़ाई के समय तो अमेरिका ने भारत का साथ दिया था, लेकिन इस बार उसने केवल मध्यस्थता की पेशकश की जिसे उसकी भारतीय उपमहाद्वीप में पैठ बढ़ाने की कोशिश से ज्यादा कुछ नहीं माना जा सकता। रूस भी इस मामले में तटस्थ रहा और बाकी किसी बड़े देश की तरफ से भी कोई खास रिएक्शन नहीं आया। भारत के साथ किसी भी देश का खड़ा न होना, निश्चित तौर पर हमारी विदेश नीति की असफलता है। हमारी सरकार किसी भी देश के साथ विश्वासपूर्ण संबंध कायम करने में सफल नहीं हुई है, बल्कि पूर्व में जिन देशों से हमारे संबंध बेहतर थे, वो भी अब पहले जैसे नहीं रहे।

पड़ोसी देशों से संबंधों में कड़वाहट

सर्वाधिक चिंता की बात हमारे पड़ोसी देशों के साथ संबंधों में कड़वाहट आने की है। पहले तो केवल पाकिस्तान के साथ ही तनावपूर्ण रिश्ते होते थे, लेकिन अब नेपाल और भूटान जैसे देश भी अपना रंग बदलते दिख रहे हैं।

पाकिस्तान से नहीं बनी बात

पाकिस्तान की बात करें, तो यह वही देश है जिसके विरोध के नाम पर भाजपा 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव ही नहीं, कई राज्यों के विधानसभा चुनाव भी जीती है। हालांकि पहली बार सरकार बनाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी के शपथग्रहण समारोह में पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को बुलाने जैसे चौंकाने वाले काम भी भाजपा सरकार ने किए, और बाद में तो बिना बुलाए मोदी जी खुद ही पाकिस्तान पहुंचे। इन सारे प्रयासों का नतीजा कुछ नहीं निकला।

नेपाल पहुंचा चीन के पाले में

पाकिस्तान के बाद अब नेपाल और भूटान से भी भारत का विवाद सामने आ गया है। खास बात ये है कि नेपाल और भूटान, दोनों की प्रतिरक्षा का भार भारत के ऊपर है। बावजूद इसके, नेपाल ने भारत से लगी अपनी सीमा पर अपनी पुलिस की तैनाती बढ़ा दी है। भारत के साथ बढ़ते सीमा विवाद के बीच नेपाल ने बॉर्डर पर सड़क निर्माण भी शुरू कर दिया है। उत्तराखंड में पिथौरागढ़ जिले से सटे बॉर्डर के पास धारचूला-तिनकर रोड के निर्माण का काम तेज कर दिया है। इसके साथ ही सीमा के पास एक हेलिपैड भी तैयार कर लिया है। इस सड़क के निर्माण से चीन की सीमा तक नेपाल की पहुंच आसान हो सकती है।

इसके पहले, नेपाल उत्तराखंड में स्थित कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा के इलाकों पर अपना दावा कर चुका है। वहां की संसद में संशोधित नक्शे को भी पास कर दिया गया है। नेपाल से एक और खबर, वहां पर हिंदी भाषा को प्रतिबंधित करने की कोशिशों की भी आ रही है। बदले में भारत ने भी नेपाल सीमा पर हाईअलर्ट जारी किया है और सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है। इसमें कोई शक नहीं कि नेपाल को चीन से शह मिल रही है, लेकिन कहीं न कहीं कुछ भारत की ओर से भी ऐसा हुआ है जिस वजह से नेपाल अपने इस पुराने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक सहयोगी को छोड़कर चीन के साथ जाने को राजी हुआ है। उधर, भारत सरकार लगातार दावा करती रही है कि दुनिया के तमाम देशों के साथ-साथ नेपाल से भी उसके संबंध मजबूत हुए हैं। इसका मतलब ये हुआ कि या तो भारत को स्थिति की सही भान नहीं हो सका या फिर वह देशवासियों से सचाई छिपाती रही है।

भूटान ने भी बदला रंग

नेपाल के साथ ही भूटान ने भी अब भारत के प्रति रवैये में बदलाव किया है। भूटान द्वारा असम में आने वाला सिंचाई का पानी रोकने की बेहद चिंताजनक खबर आई है। ध्यान रहे कि असम के बक्शा जिले में करीब 25 गांवों के 6000 से ज्यादा किसान खेती के लिए भूटान से आने वाले पानी पर ही निर्भर हैं। साल 1953 से यहां के किसान भूटान से आने वाले से अपने खेतों की सिंचाई करते रहे हैं, लेकिन अब भूटान इस पानी को देने में आनाकानी करने लगा है। फिलहाल राहत की बात है कि ये पानी विवाद सुलझ गया है, और भूटान से सिंचाई का पानी असम पहुंचने लगा है। इसके पहले असम में किसानों ने पानी रोके जाने के विरोध में प्रदर्शन करने शुरू कर दिए थे। भूटान से ये पानी विवाद फिलहाल भले ही सुलझता लग रहा हो लेकिन भूटान का रवैया तो बदला-बदला लग ही रहा है। कुछ महीने पहले भूटान ने भारत से पर्यटक के तौर पर आने वाले लोगों से हर दिन एक हजार रुपये से ज्यादा फीस लेने का फैसला किया था। यह भी उसके बदले रुख का प्रमाण रहा है।

सरकार की तरफ से हुई लापरवाही

इस तरह से, अपने देश के नजरिए से देखें, तो इसमें कोई शक नहीं कि हमारी सरकार ने पड़ोसी देशों को या तो कमतर आंका है, या उनके साथ संबंधों पर ध्यान नहीं दिया है। सरकार ने ये भी नहीं देखा कि हमारे छोटे पड़ोसी देश जो हमेशा हम पर निर्भर रहे हैं, वो चीन की तरफ क्यों आकर्षित हो रहे हैं। इसी की कीमत अब हमें चुकानी पड़ रही है।

(अब आप नेशनल इंडिया न्यूज़ के साथ फेसबुक, ट्विटर और यू-ट्यूब पर जुड़ सकते हैं.)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also

बालेश्वर यादव की पूरी कहानी !

By_Manish Ranjan बालेश्वर यादव भोजपुरी जगत के पहले सुपरस्टार थे। उनके गाये लोकगीत बहुत ही …