रंग भेद को लेकर क्रिकेटर अभिनव मुकुंद ने बयां किया अपना दर्द
नई दिल्ली।
भारत में सदियों से दलितों, कमजोर, पिछड़ों के साथ जातिगत भेदभाव, छुआछूत, नस्लीय भेदभाव, रंगभेद आदि चीजें की जाती रही हैं। जिसके खिलाफ लोग आवाज उठाते रहे हैं। अब भारतीय टेस्ट क्रिकेटर अभिनव मुकुंद ने रंगभेद से परेशान होकर सोशल मीडिया पर अपनी व्यथा लिखी है। मुकुंद ने लिखा है कि कैसे लोग बचपन से ही उनके शारीरिक रंग को लेकर टिप्पणी करते थे।
मुकुंद ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर एक बेहद भावुक ट्वीट करते हुए कहा, ‘मैं 10 साल की उम्र से क्रिकेट खेल रहा हूं और मैंने धीरे-धीरे सफलता की ऊंचाई छुई और वहां पहुंचा, जहां मैं आज हूं। उच्च स्तर पर देश के लिए खेलना एक गर्व की बात है।
मैं आज किसी की सहानुभूति और ध्यान खींचने के लिए नहीं ऐसा नहीं लिख रहा हूं बल्कि इस उम्मीद से लिख रहा हूं कि नस्लवाद के मुद्दे पर लोगों की सोच बदल पाऊं, जिसके बारे में मैं सबसे ज्यादा सोचता हूं।’
उन्होंने कहा, ‘मैं 15 साल की उम्र से देश के बाहर और देश में बहुत घूमा हूं। मैंने पाया कि लोगों ने मेरे रंग पर काफी तंज कसे हैं। मेरी स्किन को लेकर लोगों का बेइज्जती करना मेरे लिए हमेशा से राज रहा है। जो कोई क्रिकेट को फॉलो करता है वह इसे समझेगा। मैंने धूप में काफी क्रिकेट खेली है।
मगर मुझे एक बार भी इस बात पर कभी पछतावा नहीं हुआ कि मैं काला पड़ रहा हूं। वह इसलिए क्योंकि जो मैं करता हूं, वो मुझे पसंद है। और मैं कुछ चीजों को सिर्फ इसलिए हासिल किया क्योंकि उसे पाने के लिए मैंने कई घंटे घर से बाहर कड़ी धूप में बिताए। मैं चेन्नई से आता हूं जो शायद हमारे देश की सबसे गर्म जगह है और मैंने खुशी- खुशी अपनी ज्यादातर युवा उम्र क्रिकेट मैदान पर गुजारी है।’
मुकुंद ने इस बात का खुलासा भी किया कि उन्हें कई बार लोगों की गालियों का सामना करना पड़ा है। बाएं हाथ के बल्लेबाज ने कहा, ‘मैं इन बातों पर हंसा और आगे बढ़ गया क्योंकि मेरा लक्ष्य बड़ा था। एक नकारात्मक तरीके से प्रभावित होने के बाद मैं कठोर हो गया क्योंकि ये मुझे नीचे नहीं ले जाने वाला था। कई बार ऐसा हुआ जब मैंने इन बेइज्जती पर कुछ न बोलने की ठान ली।’
27 वर्षीय मुकुंद ने आगे कहा कि वह आज सिर्फ अपने लिए नहीं बोल रहे हैं बल्कि अन्य कई लोगों के लिए बोल रहे हैं, जो इस समस्या से गुजर रहे हैं। बकौल मुकुंद, ‘सोशल मीडिया के आने से, यह बात बहुत बढ़ गई है कि लोग अक्सर गालियां देने लगते हैं, यह कुछ ऐसा है जिसमें मेरा कोई नियंत्रण नहीं है। गोरे लोग ही सिर्फ हैंडसम नहीं होते। सच्चे बनो, ध्यान रखो और अपनी स्किन में आरामदेह रहो।’
आपको बता दें कि मुकुंद ने श्रीलंका के खिलाफ मौजूदा सीरीज में पहला टेस्ट खेलकर दूसरी पारी में 81 रन बनाए थे। लेकिन अगले मैच में उन्हें निकालकर के एल राहुल को टीम में शामिल कर लिया गया था। हालांकि तमिलनाडु के इस बल्लेबाज ने स्पष्ट किया कि उनके बयान में भारतीय क्रिकेट टीम के किसी सदस्य से कोई सरोकार नहीं है। लेकिन यह तो जगजाहिर है कि भारतीय क्रिकेट टीम में हमेशा से रंगभेद और जातिभेद किया जाता रहा है।
Remembering Maulana Azad and his death anniversary
Maulana Abul Kalam Azad, also known as Maulana Azad, was an eminent Indian scholar, freedo…